Tuesday, June 23, 2015

उठ-उठ के बैठते हैं रातों का हाल है,
दिन एक गुजरता है जैसे एक साल है,
फिर भी न हो यकीन मेरी आँखों से पूछ लो,
जब से गए हो आज तक गीला रुमाल है ।। ...

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